Jac board class 9 Sst set 3 Solutions 2022 |
खण्ड- अ अतिलघुउत्तरीय प्रश्न
1. धुरी शक्तियों में मुख्यता कौन-कौन देश शामिल थे?
उत्तर:-जर्मनी, इटली और जापान
2. 'स्लीपर' से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:-रेल की पटरी के आर पार लगे लकड़ी के तख्ते जो परियों को उनकी जगह पर रोके रखते हैं उसे स्लीपर करते हैं|
3. निर्धनता रेखा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:-गरीबी रेखा या निर्धनता रेखा (poverty line) आय के उस स्तर को कहते हैं जिससे कम आमदनी होने पे इंसान अपनी भौतिक ज़रूरतों को पूरा करने में असमर्थ होता है।
4. सार्वजानिक वितरण प्रणाली से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:-सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का अर्थ सस्ती कीमतों पर खाद्य और खाद्यान्न वितरण के प्रबंधन की व्यवस्था करना है। गेहूं, चावल, चीनी और मिट्टी के तेल जैसे प्रमुख खाद्यान्नों को इस योजना के माध्यम से सार्वजनिक वितरण की दुकानों द्वारा पूरे देश में पहुंचाया जाता है।
5. भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन कब किया गया?
उत्तर:-भारत का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक स्वायत्त विधिक संस्था है। इसकी गठन 12 अक्टूबर 1993 को हुई थी।
6. शिक्षा का अधिकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:-6 से 14 साल की उम्र के हरेक बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। संविधान के 86वें संशोधन द्वारा शिक्षा के अधिकार को प्रभावी बनाया गया है। सरकारी स्कूल सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध करायेंगे और स्कूलों का प्रबंधन स्कूल प्रबंध समितियों (एसएमसी) द्वारा किया जायेगा।
7. मानसून में विराम से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:-मानसून में विराम का अर्थ है वह शुष्क समय जिसमें वर्षा नहीं होती।
खण्ड व लघुउत्तरीय प्रश्न
8. नात्सी लोग यहूदियों से घृणा क्यों करते थे?
उत्तर:-नात्सी लोगों द्वारा यहूदियों से घृणा करने की निम्न वजह थी- नात्सी विचारधारा के अनुसार नस्ली श्रेष्ठता के आधार पर यहूदी विश्व की सबसे निम्न स्तरीय नस्ल है तथा जर्मनी की सभी समस्याओं का मूल कारण यहूदी ही हैं। यहूदी लोग जर्मन समाज से बिलकुल अलग बस्तियों में रहते थे जिन्हें घेटो' कहा जाता था।
9.औपनिवेशिक काल में व्यावसायिक खेती का क्यों विस्तार हुआ? दो कारण बतावें
उत्तर :-औपनिवेशिक काल में, विभिन्न कारणों से खेती का तेजी से विस्तार हुआ, जिनमें से दो नीचे दिए गए हैं:
(i) अंग्रेजों ने सीधे तौर पर जूट, चीनी, गेहूं और कपास जैसी व्यावसायिक फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहित किया। इन फसलों की मांग बढ़ी1 9 टी एचसदी का यूरोप जहां बढ़ती शहरी आबादी को खिलाने के लिए खाद्यान्न की आवश्यकता थी और औद्योगिक उत्पादन के लिए कच्चे माल की आवश्यकता थी।
(ii) शुरुआती दिनों में1 9 टी एचसदी के औपनिवेशिक राज्य ने सोचा था कि वन अनुत्पादक थे। उन्हें जंगल माना जाता था जिसे खेती के तहत लाया जाना था ताकि भूमि कृषि उत्पादों और राजस्व पैदा कर सके और राज्य की आय में वृद्धि कर सके।
10. शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में कैलोरी की आवश्यकता अधिक क्यों है?
उत्तर:-चूंकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग अधिक शारीरिक कार्य करते हैं, अतः ग्रामीण क्षेत्रों में कैलोरी आवश्यकता शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक मानी गई है। अनाज आदि रूप । में इन कैलोरी आवश्यकताओं को खरीदने के लिए प्रति व्यक्ति मौद्रिक व्यय को, कीमतों में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर संशोधित किया जाता है।
11. किसी आपदा के दौरान खाद्य सुरक्षा कैसे प्रभावित होती हैं?
उत्तर:-प्राकृतिक आपदा जैसे सूखा और बाढ़ के कारण खाद्यान्न के कुल उत्पादन में गिरावट आती है। खाद्य की कमी के कारण मूल्यें बढ़ जाते हैं। कुछ लोग ऊँचे मूल्यों पर खाद्य पदार्थ नहीं खरीद पाते हैं तथा खाद्यान्नों के उत्पादन में कमी के कारण प्रभावित क्षेत्रों में इनकी कमी हो जाती हैं।
12. लोकतंत्र में चुनाव कि आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:-चुनाव एक ऐसा तंत्र है जिसके द्वारा लोग नियमित अंतराल पर अपने प्रतिनिधियों को चुन सकते हैं और यदि वे चाहें तो उन्हें बदल सकते हैं। चुनाव निम्नलिखित कारणों से आवश्यक माने जाते हैं: -
(i) किसी भी बड़े समुदाय में सभी लोगों के लिए प्रतिदिन एक साथ बैठना और सभी निर्णय लेना संभव नहीं है। न ही सभी के लिए सभी मामलों पर निर्णय लेने के लिए समय और ज्ञान होना संभव है। इसलिए, अधिकांश लोकतंत्रों में, लोग अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करते हैं, जो स्वयं लोगों द्वारा चुने जाते हैं। इन प्रतिनिधियों के चुनाव के लिए चुनाव जरूरी हैं।
(ii) चुनाव पार्टी के आधार पर लड़े जाते हैं। बहुमत प्राप्त करने वाली पार्टी सरकार बनाती है। अगर सरकार अपने वादों के अनुसार काम करने में विफल रहती है, तो लोग इसे बदल सकते हैं। वे चुनाव के जरिए यह बदलाव लाते हैं। इस प्रकार, चुनाव लोगों को सरकार पर नियंत्रण करने में सक्षम बनाते हैं।
13. मानवाधिकार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:-किसी भी व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और सम्मान का अधिकार ही मानव अधिकार है। मनुष्य योनि में जन्म लेने के साथ मिलने वाला प्रत्येक अधिकार मानवाधिकार की श्रेणी में आता है। संविधान में बनाये गए अधिकारों से बढ़कर महत्व मानवाधिकारों का माना जा सकता है।
14. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वनों का वर्णन करें और उनके मुख्य वृक्ष का नाम लिखें.
उत्तर:-ये वन प्रायद्वीप में अधिक वर्षा वाले भागों और उत्तर प्रदेश व बिहार के मैदानी भागों में पाए जाते हैं। भारत में ये वन बहुतायत में पाए जाते हैं। इन्हें मानसून वन भी कहा जाता है। ये वन 70 से 200 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं। शहतूत, अनार, आँवला, भूर्ज, शीशम, अंजीर, कुंबी, सेब,बाँस, साल और अमलतास पतझड़ी पेड़ों के कुछ उदहारण हैं।
खण्ड- स दीर्घउत्तरीय प्रश्न
15. वन संरक्षण के उपायों का वर्णन करें
उत्तर:-वन-संरक्षण के उपाय
पर्यावरण के संरक्षणार्थ वनों को संरक्षण अत्यन्त आवश्यक प्रतीत होता है। वन-संरक्षण हेतु देश में संशोधित राष्ट्रीय वन नीति 1988 में लागू की गई है। इस वन नीति के मुख्य लक्ष्य पारिस्थितिकीय सन्तुलन के संरक्षण और पुन:स्थापन द्वारा पर्यावरण स्थायित्व को बनाए रखना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु वन-संरक्षण के लिए निम्नलिखित उपाय आवश्यक हैं–
व्यापक वृक्षारोपण और सामाजिक वानिकी कार्यक्रमों के द्वारा वन और वृक्ष के आच्छादन में महत्त्वपूर्ण बढ़ोतरी की जाए।
वन उत्पादनों के उचित उपयोग को बढ़ावा देना और लकड़ी के अनुकूलन विकल्पों की खोज की जाए।
वनों पर पड़ रहे दबाव को न्यूनतम करने के लिए जन-साधारण; विशेषकर महिलाओं को अधिकतम सहयोग प्रदान करने के लिए प्रेरित करना।
नदियों, झीलों और जलाशयों के जलग्रहण क्षेत्रों में भूमि-कटाव और वनों के क्षरण पर नियन्त्रण किया जाए।
वन संरक्षण और प्रबन्धन हेतु ग्रामीण समितियों का गठन किया जाए।
आदिवासी बहुल क्षेत्रों में नष्ट हो चुके वनों को पुनः हरा-भरा करने के लिए विशेष प्रायोजित रोजगार योजना के माध्यम से वनों को पुनर्जीवित किया जाए।
प्राकृतिक और मानव द्वारा लगी वनों की आग (दावानल) पर नियन्त्रण करना तथा वनों में आग | लगने की घटनाओं में कमी लाकर वनों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि करना।
रेगिस्तानी, बंजर और अनुपयुक्त अन्य प्रकार की भूमि पर उसकी प्रकृति के अनुरूप प्रजातियों की वनस्पति का विस्तार करना भी वन-संरक्षण में सहायक कदम होगा।
वास्तव में वन-सम्पदा हमारे लिए प्रकृति का अमूल्य वरदान है, अतः हमें झ्स सम्पत्ति का ब्याज ही काम में लेना चाहिए, इसके मूल को कभी भी कम नहीं करना चाहिए, तभी हम आज के भयावह पर्यावरण, असन्तुलन से राहत पा सकते है।
16. किसी देश के आर्थिक विकास और निर्धनता उन्मूलन के बीच एक गहरा संबंध है। इस कथन की व्याख्या करें।
उत्तर:-सरकार की वर्तमान निर्धनता निरोधी रणनीति मोटे तौर पर दो कारकों आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन और लक्षित निर्धनता-निरोधी कार्यक्रमों पर निर्भर है।
यह कई योजनाओं और कार्यक्रमों पर भी आधारित है। उनमें से कुछ का उल्लेख नीचे दिया गया है:
(i) राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम: यह कार्यक्रम 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 जिलों में लागू किया गया था। यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामीण निर्धनों के लिए है, जिन्हें मज़दूरी पर रोज़गार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक काम करने के इच्छुक हैं।
(ii) प्रधानमंत्री रोज़गार योजना : इस कार्यक्रम को 1993 में आरम्भ किया गया। इसका उद्देश्य ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में शिक्षित बेरोज़गार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है
(ii) ग्रामीण रोज़गार सृजन कार्यक्रम: इस कार्यक्रम को 1995 में आरम्भ किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है। दसवीं पंचवर्षीय • योजना में इस कार्यक्रम के अंतर्गत २५ लाख नए रोज़गार के अवसर सृजित करने का लक्ष्य रखा गया।
(iv) प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना: इस कार्यक्रम को 2000 में आरम्भ किया गया। इस योजना के अंतर्गत गाँवों में मूलभूत सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।
(v) राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 : इस अधिनियम को सितम्बर 2005 में पारित किया गया। इस अधिनियम का नाम बदलकर महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम कर दिया गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत अगर आवेदक को 15 दिन के अंदर रोज़गार उपलब्ध नहीं कराया गया तो वह दैनिक बेरोज़गारी भत्ते का हक़दार होगा।
17. भारत के चुनाव प्रणाली के विभिन्न घटकों का वर्णन करें?
उत्तर:-भारत में चुनावों का आयोजन भारतीय संविधान के तहत बनाये गये भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है। यह एक अच्छी तरह स्थापित परंपरा है कि एक बार चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद कोई भी अदालत चुनाव आयोग द्वारा परिणाम घोषित किये जाने तक किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
18. प्राकृतिक वनस्पति को प्रभावित करने वाले कारकों कि चर्चा करें।
प्राकृतिक वनस्पति के विकास में विभिन्न कारकों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इन कारकों का विवरण निम्नानुसार है-
उत्तर:-1. तापमान: एक पौधे को अपने विकास के लिए कम से कम 6 डिग्री सेल्सियस मासिक औसत तापमान की आवश्यकता होती है। इससे कम तापमान पर पौधे नहीं पनप सकते। इसी तरह उच्च तापमान से भी पौधे मुरझा सकते हैं। तापमान की भिन्नता वनस्पतियों के आकार-प्रकार में भी परिवर्तन का कारण बनती है। इसका स्पष्ट उदाहरण अरुणाचल प्रदेश व असोम की वनस्पतियों में स्वरूपगत भिन्नता है। अरुणाचल प्रदेश व असोम दोनों राज्यों में वर्षा की मात्रा उच्च रहती है किंतु अरुणाचल प्रदेश में निम्न तापमान रहने के कारण वहां की वनस्पति के आकार-प्रकार में अंतर है।
2. वर्षा: यह वनस्पतियों के विकास में एक महत्वपूर्ण कारक है। विभिन्न पौधों हेतु वर्षा की मात्रा की भिन्न-भिन्न आवश्यकता होती है।
3. मिट्टी: मिट्टी के प्रकार व उसकी अपनी पृथक् विशेषता का भी वनस्पति पर पर्याप्त प्रभाव पड़ता है। भारत में बांगर मिट्टी के क्षेत्रों की वनस्पति, खादर मिट्टी के क्षेत्रों की वनस्पति से भिन्न होती है। इसी प्रकार रेतीली मिट्टी में अलग प्रकार की वनस्पति उत्पादित होती है।
4. धरातलीय स्वरूप: धरातलीय स्वरूप भी वनस्पतियों को प्रभावित करता है। हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र में वर्षा की मात्रा का वनस्पति पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव दृष्टिगोचर नहीं होता। यहां ऊंचाई तथा तापमान ने वनस्पति प्रदेश निर्धारित किए हैं। जलवायु और धरातलीय स्वरूप में अंतर होने के कारण ही भारत में उष्ण और शीतोष्णकटिबंधीय दोनों ही प्रकार की वनस्पति मिलती है।
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